बुधवार, 25 दिसंबर 2019

मैं लिखता रहा और मिटाता रहा....

विषय::विरह गीत
विधा:मुक्त छन्द
धुन:कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे, तड़पता हुआ.....

मैं लिखता रहा, और मिटाता रहा।
जीवन के हर गीत ,गाता रहा।

यादें तुम्हारी ,जब जब भी आई
तुम्हारा ही अक्स ,मुझको देता दिखाई
सनम क्यों मुझे , छोड़ तुम चल दिये
लौट आओ सदायें, मैं देता रहा।

मैं लिखता रहा, और मिटाता रहा।
जीवन के हर गीत गाता रहा।

फिजाएं लिपट ,मुझसे रोती रही
बहारों से अब, बात होती नहीं
मिलेगा सजन, फिर किसी मोड़ पर
ख्वाब जीवन मुझे, ये दिखाता रहा।

मैं लिखता रहा, और मिटाता रहा।
जीवन के हर गीत गाता रहा।

नाजुक सी तुम ,एक कली थी प्रिये
हम जिये थे सनम, बस तुम्हारे लिए
तुम्हारे बिना, वक्त कट जाएगा।
खुद को झूठा, दिलासा, दिलाता रहा।

मैं लिखता रहा, और मिटाता रहा।
जीवन के हर गीत गाता रहा।
मैं लिखता रहा, और मिटाता रहा।
जीवन के हर गीत गाता रहा।




4 टिप्‍पणियां:

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