कुंडलियाँ |
15:
वेणी ::
बालों की वेणी बना,कर सोलह श्रृंगार ।
डोली बैठी गोरिया ,चली पिया के द्वार।।
चली पिया के द्वार, नयन में स्वप्न सजाए।
बाबुल दे आशीष ,लेत हैं सखी बलाएँ।।
आँगन सूना छोड़,उड़ी चिड़िया डालों की।
चलत घूँघटा ओढ़ ,बना वेणी बालों की।।
16:
कुमकुम ::
महता कुमकुम की बड़ी, कुमकुम करता राज।
शुभ कारज कोई न हो,होय न मंगल काज।।
होय न मंगल काज, यही सौभाग्य बुलाता।
नारी के भी माथ,माँग कुमकुम इठलाता।।
विजय तिलक की बात,वेद पुराण भी कहता।
सजा ईश के भाल ,सुनो कुमकुम की महता।।
17:
काजल::
काजल आँखों में लगा , बिंदी चमके माथ।
मांगटीका भाल सजा , मिला पिया का साथ ।।
मिला पिया का साथ ,सखी री ढोल बजाओ।
आई द्वार बरात ,सुनो सब मंगल गाओ।।
कहे सुधा सुन आलि,आँख से बरसे बादल।
सखी दुआ दें आज , आँख का झरे न काजल।।
18:
गजरा::
अलकों में महकन लगा,देखो गजरा आज।
पहनी धानी चूनरी, ओढ़ शरम अरु लाज।।
ओढ़ शरम अरु लाज, इत्र है छिड़का चंदन।
लाल हुए हैं गाल, हाथ में बाजे कंगन ।।
लगा महावर पाँव, स्वप्न पाले पलकों में।
बनी वधू वह आज,लगा गजरा अलकों में।।
19:
पायल ::
बाजे पायल सुर सजे,राम लला के पाँव।
लाड़ करती कैकेयी,मोहित सारा गाँव।।
मोहित सारा गाँव,रूप प्रभु का है प्यारा।
कौशल्या दे स्नेह,सबहि के राम दुलारा।
शोभित अतुलित कांति,कमर करधनिया साजे।
सोहे कुंडल कर्ण, पाँव पैजनिया बाजे।।
20:
कंगन ::
पहने कंगन हाथ में,पायलिया है पाँव।
नागिन जैसी वो चले, देखे पूरा गांव।।
देखे पूरे गाँव, नयन मोहक कजरारे।
दिवस हो गई रात ,घेरि आये बदरा रे।
हैं संदल से गात,सुखद सूरत क्या कहने।
मलमल से हैं गाल, हाथ में कंगन पहने।।
वाह!
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा,बेहद खूबसूरत पंक्तियाँ।
अप्रतिम 👌 आदरणीया मैम।
सादर प्रणाम 🙏
सुप्रभात।
हृदयतल से आभार प्यारी आँचल जी।,🙏🙏
हटाएंबेहद सुंदर सुधा जी हृदय से साधुवाद आपको
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आ. 🙏🙏 यदि आपत्ति न हो तो कृपया अपना परिचय भी दें। जानने की इच्छा होती है।
हटाएंबहुत ही सुन्दर कुण्डलियाँ...
जवाब देंहटाएंवाह!!!
शुक्रिया सुधा जी🙏🙏🙏
हटाएंकुंडली विधा में रची आपकी ये रचनाएँ शानदार हैं।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया नृपेंद्र जी
हटाएंसर् हमारे ब्लॉग पर भी कृपा दृष्टि डालें।
जवाब देंहटाएंhttp://nirperdra4542.blogspot.com/?m=1