12:अग्निपथ:
अग्निपथ बनी जिंदगी, बढ़ ढाँढस के साथ।
डरकर रुक जाना नहीं, तिलक लगेगी माथ।।
13:अहंकार:
अहंकार मत पालिए,यह है रिपु समरूप।
अपनों से दूरी बढ़े,है यह अंधा कूप।।
14:अनुभव:
अनुभव सम शिक्षक नहीं,मान लीजिए बात।
सच्चा पथदर्शक यही,यह न करे प्रतिघात।।
15:जलधि:
खारा पानी जलधि का,तृष्णा करे न शांत।
जाए दरिया कूल तो,रहे न कोई क्लांत।।
16:प्रतिकार
अनुचित बात न मानिये,करिये जी प्रतिकार।
साथ रहे आदर्श तो ,भव सागर हो पार ।।
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (23-12-2019) को "थोड़ी सी है जिन्दगी" (चर्चा अंक 3558 ) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं…
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रवीन्द्र सिंह यादव
बेहतरीन दोहे 👌👌
जवाब देंहटाएंशुक्रिया अनु जी🙏🙏🙏
हटाएंबहुत ही सुंदर दोहे ,सादर नमन सुधा जी
जवाब देंहटाएंसादर अभिवादन, आभार सखी,,🙏🙏🙏
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