रविवार, 3 नवंबर 2019

आस.... (विधा :गीत )




आस
आस 
विधा :गीत
 दिनांक :2.11.19
 विषय :आस


 पलकों में सपने सजाए, आस मन पलती रही ।
 मन उजाला भर गया, और धुंध भी छटती रही ।।

 वो मिलेगा एक दिन, चाहा था जिसको ऐ सखी ।
 थाम कर उम्मीद का दामन, चली मैं उस गली ।।
पांँव में छाले पड़े, और याद में तिल - तिल जली।
पलकों में सपने सजाए, आस मन पलती रही ।।

 उनकी मीठी बातों ने, पल पल हँसाया था मुझे ।
 ख्वाबों ने आ आके, नींदों में जगाया था मुझे।।
 जिन्दगी सुख दुख के पंखे, से सदा झलती रही।
 पलकों में सपने सजाए, आस मन पलती रही ।।

 आज खुशियों के गगन में, सुख का सूरज है उगा।
 निविड़ तम को भेद करके, भोर भी है अब जगा।।
 प्रिय मिलन की प्यास मेरी , आज है बुझती रही।
 पलकों में सपने सजाए, आस मन पलती रही ।।


 सुधा सिंह 🦋 

18 टिप्‍पणियां:

  1. वाह बेहद खूबसूरत पंक्तियां सजाई है आपने

    जवाब देंहटाएं
  2. वाहहहहह बहुत सुंदर प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह! वाह! क्या बात है ।बहुत सुन्दर पंक्तियाँ ।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही सुंदर लयबद्ध रचना

    जवाब देंहटाएं
  5. आस की प्यास को जीवंत करती कविता।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर सृजन है सुधा जी ।
    मन मोहक सरस ।

    जवाब देंहटाएं
  7. अति सुन्दर गीत ! क्षमा करें आदरणीया परन्तु मात्राओं पर विशेष ध्यान दें ! 

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आभारी हूँ आ. कृपया त्रुटियाँ इंगित करें. 🙏

      हटाएं
  8. वाह बहुत सुंदर आदरणीया मैम 👌
    सादर नमन सुप्रभात 🙏

    जवाब देंहटाएं

पाठक की टिप्पणियाँ किसी भी रचनाकार के लिए पोषक तत्व के समान होती हैं ।अतः आपसे अनुरोध है कि अपनी बहुमूल्य टिप्पणियों द्वारा मेरा मार्गदर्शन करें।☝️👇