सोमवार, 25 नवंबर 2019

सुधा की कुंडलियाँ....1

सुधा की कुंडलियाँ 



2::पॉलीथिन


थैली पॉलीथीन की, जहर उगलती जाय ।

ज्ञात हमें यह बात तो,करते क्यों न उपाय ।।
करते क्यों न उपाय, ढोर पशु खाएँ इसको ।
बिगड़ा पर्यावरण, अद्य समझाएं किसको।।
कहत 'सुधा' कर जोड़, सुधारो जीवन शैली ।
चलो लगाएंँ बुद्धि , तज़ें पॉलीथिन थैली।।



3::रोजगार



आशा के दीपक जला, फिरता माँ का लाल ।

रोजगार की खोज में, हालत है बेहाल ।।
हालत है बेहाल, नहीं कुछ उसको सूझे।
मन ही मन अकुलाय,जगत से प्रतिपल जूझे।।
है व्याकुल दिन रैन,नौकरी की अभिलाषा ।
चाहे समृद्धि मान, शान की रखता आशा।।



4 ::दहेज



यौतुक दानव लीलता,लड़की का सौभाग्य।

रीत चली ऐसी यहाँ,जो लाए दुर्भाग्य।।
जो लाए दुर्भाग्य,उसे निर्मूल बना दो ।
भूमि से नाम दाय ,सदा सदा को हटा दो ।।
कुरीतियां हों दूर, होय पृथ्वी पर कौतुक ।
बेटी हो संतुष्ट , लुप्त हो दानव यौतुक।।



5::प्रदूषण



दूषित हर एक तत्व है, पानी धरणि समीर ।

ना फ़िकर है काहू को , फल जिसके गम्भीर ।।
फल जिसके गम्भीर , प्रलय को धरती भांपे।
इस विपदा को सोच , हृदय ये हरदम काँपे।।
कहे 'सुधा' ललकार, सोच मत रखिए कुत्सित।
जल वायु रहे स्वच्छ , तत्व कोई न प्रदूषित।।



6::निर्धनता



धन वैभव सब कुछ गया, लिया कष्ट ने घेर।

कुछ खुद से गलती भई, कुछ विधना का फ़ेर।।
कुछ विधना का फ़ेर, घेर आई निर्धनता।
श्रम को ले तू साध , देख फिर भाग्य बदलता ।।
पाना भोजन स्वास्थ्य , ठान ले तू अपने मन।              
श्रम जब बने प्रधान , लौट आवे वैभव धन।।



7 ::नशा



मदिरा से दूरी भली , मदिरा दुख की खान।

कर देती ये खोखला, मदिरा जहर समान ।।
मदिरा जहर समान, नष्ट कुटुंब हो जाए ।
अशांत हो घर द्वार ,भ्रष्ट व्यवहार बनाए ।।
घर में सुख का वास, नशा जब मुक्त शिरा से ।
कर लो सुफल प्रयास , दूर रहियो मदिरा से।।



8 ::भ्रूण हत्या



नारी को सम्मान दो , नारी शक्ति स्वरूप ।

नारी ही है सुख सरित, नारी प्रेमल कूप।।
नारी प्रेमल कूप, स्नेह जीवन में भर दे।
रहे कोख में मार, सदन जो उज्ज्वल कर दे ।।
पा जाए सामर्थ्य, ज्ञान भी दीजे भारी ।
मिल जाए यदि प्रेम, खुशी पाएगी नारी।।


9::महँगाई 

महँगा सब कुछ हो गया ,चावल रोटी दाल।
नेता छूट उठा रहे, जनता है बेहाल।। 
जनता है बेहाल, कि अब जीयेंगे कैसे। 
रात कटी है सोच, कटे दिन जैसे तैसे।। 
कहे 'सुधा' कर जोड़, होय न प्याज पे दंगा। 
न हो भ्रष्ट आचार,नहीं हो कुछ भी महँगा।। 



सुधा सिंह 🦋

18 टिप्‍पणियां:

  1. वाह!!सुधा जी ,लाजवाब कुंडलियाँँ 👌

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  2. वाह प्रिय सुधा जी, बेहद सार्थक और शानदार कुंडलियाँ 👌👌👌👌हार्दिक शुभकामनायें 🌹🌹🌹💐💐

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  3. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 26 नवम्बर 2019 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  4. वाह एक से बढ़कर एक सभी कुंडलियाँ बहुत ही बेहतरीन हैं 👌👌👌

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  5. साहित्य में लुप्त होती विधा को जीवंत करना सच में बेहद सराहनीय है दी।
    बहुत अच्छी कुण्डलियाँ।

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  6. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (27-11-2019) को    "मीठा करेला"  (चर्चा अंक 3532)     पर भी होगी। 
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
     --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  

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  7. बहुत ही सुन्दर सृजन यथार्थ को इंगित करती.
    सादर

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  8. लाजवाब प्रस्तुति
    बेहतरीन कुंडलियां

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