बुधवार, 13 नवंबर 2019

कुछ जीवनोपयोगी दोहे ..1




1:रिश्ते :

यारों इस संसार में, रिश्तों का न मोल। 
जिन नातों में प्रेम है ,  हैं वे ही अनमोल।। 

2:कालिमा :

मन में हो जब कालिमा, जग भी बैरी होय।  
हिय में प्यार जगाइये, मित्र लगे सब कोय।। 

3:अनुबंध :

सात फेरे लगते जब , बनते तब अनुबंध। 
जनमों का नाता बने,    फैले प्रेम सुगंध।। 

4:कलेवर :

रोज नए रंग देखकर, मन जाता है काँप । 
लोग कलेवर ओढ़ते,   जैसे ओढ़े साँप।। 

5:मान :

पाना हो यदि मान तो, कर लो ऐसे काम। 
मिले दुआएं लोक की, जग में होवे नाम।। 

6:प्रासाद :

सब चाहे प्रासाद को, नहीं झुग्गी की आस। 
शुचिता को हैं त्यागते , करते धर्म का नाश।। 

7:कर्महीनता 

कर्महीन हो सो रहे, सत्कर्मों को भूल। 
पीछे पछताना पड़े ,नाव न लागे कूल।। 


कुछ नए दोहे :

8:चिंतन 

चिंतन कर ले रे मना, चिंता दे बिसराय। 
पावन हो तव आतमा,हिय में हर्ष समाय।। 

9:अटल :
अटल इरादे हों अगर , सब कुछ सम्भव होय ।
मुट्ठी में हो ये जहां ,      मिले आसमां तोय।। 

10:आरक्षण :

सबको सबकुछ चाहिए,कम न किसी को भाय।
कर पसारे बैठे हैं,     आरक्षण मिली जाय ।।

11:कुर्सी 

स्वाभिमान को रौंदकर,   कुरसी पीछे धाय।
 सज्जनता बाकी नहीं, मातोश्री अकुलाय।। 

11 Nov 2019 


7 टिप्‍पणियां:

  1. वाह!!!
    सचमुच जीवनोपयोगी...
    लाजवाब दोहे।

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  2. बहुत सुंदर जीवनोपयोगी दोहे हैं, सुधा दी।

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  3. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १५ नवंबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  4. 'नाव न लागे कूल' ही नहीं, बल्कि - 'भाग्य होय प्रतिकूल'
    जो अपने पैर पर खुद ही कुल्हाड़ी मारने पर तुला हो उसकी बुद्धि सुधारने के लिए सुधा जी के दोहे बड़े काम के हैं.

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