बुधवार, 25 दिसंबर 2019

मैं लिखता रहा और मिटाता रहा....

विषय::विरह गीत
विधा:मुक्त छन्द
धुन:कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे, तड़पता हुआ.....

मैं लिखता रहा, और मिटाता रहा।
जीवन के हर गीत ,गाता रहा।

यादें तुम्हारी ,जब जब भी आई
तुम्हारा ही अक्स ,मुझको देता दिखाई
सनम क्यों मुझे , छोड़ तुम चल दिये
लौट आओ सदायें, मैं देता रहा।

मैं लिखता रहा, और मिटाता रहा।
जीवन के हर गीत गाता रहा।

फिजाएं लिपट ,मुझसे रोती रही
बहारों से अब, बात होती नहीं
मिलेगा सजन, फिर किसी मोड़ पर
ख्वाब जीवन मुझे, ये दिखाता रहा।

मैं लिखता रहा, और मिटाता रहा।
जीवन के हर गीत गाता रहा।

नाजुक सी तुम ,एक कली थी प्रिये
हम जिये थे सनम, बस तुम्हारे लिए
तुम्हारे बिना, वक्त कट जाएगा।
खुद को झूठा, दिलासा, दिलाता रहा।

मैं लिखता रहा, और मिटाता रहा।
जीवन के हर गीत गाता रहा।
मैं लिखता रहा, और मिटाता रहा।
जीवन के हर गीत गाता रहा।




मंगलवार, 24 दिसंबर 2019

सुधा की कुंडलियाँ-3

कुंडलियाँ
15:
वेणी ::
बालों की वेणी बना,कर सोलह श्रृंगार ।
डोली बैठी गोरिया ,चली पिया के द्वार।।
चली पिया के द्वार, नयन में स्वप्न सजाए।
बाबुल दे आशीष ,लेत हैं सखी बलाएँ।।
आँगन सूना छोड़,उड़ी चिड़िया डालों की।
चलत घूँघटा ओढ़ ,बना वेणी बालों की।।

16:
कुमकुम ::
महता कुमकुम की बड़ी, कुमकुम करता राज।
शुभ कारज कोई न हो,होय न मंगल काज।।
होय न मंगल काज, यही सौभाग्य बुलाता।
नारी के भी माथ,माँग कुमकुम इठलाता।।
विजय तिलक की बात,वेद पुराण भी कहता।
सजा ईश के भाल ,सुनो कुमकुम की महता।।



17:
काजल::
काजल आँखों में लगा , बिंदी चमके माथ।
मांगटीका भाल सजा , मिला पिया का साथ ।।
मिला पिया का साथ ,सखी री ढोल बजाओ।
आई द्वार बरात ,सुनो सब मंगल गाओ।।
कहे सुधा सुन आलि,आँख से बरसे बादल।
सखी दुआ दें आज , आँख का झरे न काजल।।


18:
गजरा::
अलकों में महकन लगा,देखो गजरा आज।
पहनी धानी चूनरी, ओढ़ शरम अरु लाज।।
ओढ़ शरम अरु लाज, इत्र है छिड़का चंदन।
लाल हुए हैं गाल, हाथ में बाजे कंगन ।।
लगा महावर पाँव, स्वप्न पाले पलकों में।
बनी वधू वह आज,लगा गजरा अलकों में।।

19:
पायल ::
बाजे पायल सुर सजे,राम लला के पाँव।
लाड़ करती कैकेयी,मोहित सारा गाँव।।
मोहित सारा गाँव,रूप प्रभु का है प्यारा।
कौशल्या दे स्नेह,सबहि के राम दुलारा।
शोभित अतुलित कांति,कमर करधनिया साजे।
सोहे कुंडल कर्ण, पाँव पैजनिया बाजे।।


20:
कंगन ::
पहने कंगन हाथ में,पायलिया है पाँव।
नागिन जैसी वो चले, देखे पूरा गांव।।
देखे पूरे गाँव, नयन मोहक कजरारे।
दिवस हो गई रात ,घेरि आये बदरा रे।
हैं संदल से गात,सुखद सूरत क्या कहने।
मलमल से हैं गाल, हाथ में कंगन पहने।।

शनिवार, 21 दिसंबर 2019

कुछ जीवनोपयोगी दोहे:2




12:अग्निपथ:
अग्निपथ बनी जिंदगी, बढ़ ढाँढस के साथ।
डरकर रुक जाना नहीं, तिलक लगेगी माथ।।


13:अहंकार:
अहंकार मत पालिए,यह है रिपु समरूप।
अपनों से दूरी बढ़े,है यह अंधा कूप।।


14:अनुभव:
अनुभव सम शिक्षक नहीं,मान लीजिए बात।
सच्चा पथदर्शक यही,यह न करे प्रतिघात।।


15:जलधि:
खारा पानी जलधि का,तृष्णा करे न शांत।
जाए दरिया कूल तो,रहे न कोई क्लांत।।


16:प्रतिकार
अनुचित बात न मानिये,करिये जी प्रतिकार।
साथ रहे आदर्श तो ,भव सागर हो पार ।।


सुधा की कुंडलियां-2




10::दीपक:
दीपक सम जलता रहा,भारत राष्ट्र महान।
उगे प्रवर्तक तिमिर के ,भेज रहे तूफान ।।
भेज रहे तूफान, देश से करें द्रोह ये।
आगजनी पथराव,कर रहे स्वार्थ मोह से।।
कहे सुधा कर जोड़,बनें स्वदेश के रक्षक
रहे प्रज्वलित ज्योत,जलें हम जैसे दीपक।।

   11:कजरा::
आँखों में कजरा लगा,मन ही मन मुसकात।
प्रीत मगन अभिसारिका,पिया मिलन को जात।।
पिया मिलन को जात,महावर पाँव लगाए। 
बिंदी चूड़ी पहन,नवेले स्वप्न सजाए।। 
सखे सुधा खुश आज,सजन तेरा लाखों में 
 सदा रहे सम्पन्न , खुशी चमके आँखों में।।

 12:आँचल ::
 माँ के आँचल सा सखी, जग में वसन न कोय।
 ममता ऐसे है बहे,बहता जैसे तोय।। 
बहता जैसे तोय, पुत्र की विपदा हरती।
 बालक रहे प्रसन्न,सदैव प्रार्थना करती।। 
कहे सुधा रख ध्यान,समीप न पीड़ा झाँके। 
रहे सदा खुश मात,पास रहना तुम माँ के।।

  13:झुमका: :
 सोहे झुमका कान में,पायल शोभित पाँव। 
गोरी छन छन जब चले निरखे पूरा गाँव।। 
निरखे पूरा गाँव, गात जिसके हैं चंदन । 
रूप सलोना देख, मदन रति करते क्रंदन।।
खेलत कुंतल संग ,लगावे पल पल ठुमका।
 हौले चूम कपोल ,कान में शोभे झुमका।। 

14: चूड़ी::
 चूड़ी पहने राधिका, केशव रही रिझाय । 
देख मनोहर कांति को,श्रीराधे शरमाय।। 
श्रीराधे शरमाय,कभी जल में छवि निरखे 
सुन कान्हा की वेणु ,राधिका का हिय हरखे।। 
संग बांसुरी कृष्ण,रूप सुंदर क्या कहने ।
रम्या प्रेमिल मूर्ति , रिझाती चूड़ी पहने।।   

सोमवार, 25 नवंबर 2019

सुधा की कुंडलियाँ....1

सुधा की कुंडलियाँ 



2::पॉलीथिन


थैली पॉलीथीन की, जहर उगलती जाय ।

ज्ञात हमें यह बात तो,करते क्यों न उपाय ।।
करते क्यों न उपाय, ढोर पशु खाएँ इसको ।
बिगड़ा पर्यावरण, अद्य समझाएं किसको।।
कहत 'सुधा' कर जोड़, सुधारो जीवन शैली ।
चलो लगाएंँ बुद्धि , तज़ें पॉलीथिन थैली।।



3::रोजगार



आशा के दीपक जला, फिरता माँ का लाल ।

रोजगार की खोज में, हालत है बेहाल ।।
हालत है बेहाल, नहीं कुछ उसको सूझे।
मन ही मन अकुलाय,जगत से प्रतिपल जूझे।।
है व्याकुल दिन रैन,नौकरी की अभिलाषा ।
चाहे समृद्धि मान, शान की रखता आशा।।



4 ::दहेज



यौतुक दानव लीलता,लड़की का सौभाग्य।

रीत चली ऐसी यहाँ,जो लाए दुर्भाग्य।।
जो लाए दुर्भाग्य,उसे निर्मूल बना दो ।
भूमि से नाम दाय ,सदा सदा को हटा दो ।।
कुरीतियां हों दूर, होय पृथ्वी पर कौतुक ।
बेटी हो संतुष्ट , लुप्त हो दानव यौतुक।।



5::प्रदूषण



दूषित हर एक तत्व है, पानी धरणि समीर ।

ना फ़िकर है काहू को , फल जिसके गम्भीर ।।
फल जिसके गम्भीर , प्रलय को धरती भांपे।
इस विपदा को सोच , हृदय ये हरदम काँपे।।
कहे 'सुधा' ललकार, सोच मत रखिए कुत्सित।
जल वायु रहे स्वच्छ , तत्व कोई न प्रदूषित।।



6::निर्धनता



धन वैभव सब कुछ गया, लिया कष्ट ने घेर।

कुछ खुद से गलती भई, कुछ विधना का फ़ेर।।
कुछ विधना का फ़ेर, घेर आई निर्धनता।
श्रम को ले तू साध , देख फिर भाग्य बदलता ।।
पाना भोजन स्वास्थ्य , ठान ले तू अपने मन।              
श्रम जब बने प्रधान , लौट आवे वैभव धन।।



7 ::नशा



मदिरा से दूरी भली , मदिरा दुख की खान।

कर देती ये खोखला, मदिरा जहर समान ।।
मदिरा जहर समान, नष्ट कुटुंब हो जाए ।
अशांत हो घर द्वार ,भ्रष्ट व्यवहार बनाए ।।
घर में सुख का वास, नशा जब मुक्त शिरा से ।
कर लो सुफल प्रयास , दूर रहियो मदिरा से।।



8 ::भ्रूण हत्या



नारी को सम्मान दो , नारी शक्ति स्वरूप ।

नारी ही है सुख सरित, नारी प्रेमल कूप।।
नारी प्रेमल कूप, स्नेह जीवन में भर दे।
रहे कोख में मार, सदन जो उज्ज्वल कर दे ।।
पा जाए सामर्थ्य, ज्ञान भी दीजे भारी ।
मिल जाए यदि प्रेम, खुशी पाएगी नारी।।


9::महँगाई 

महँगा सब कुछ हो गया ,चावल रोटी दाल।
नेता छूट उठा रहे, जनता है बेहाल।। 
जनता है बेहाल, कि अब जीयेंगे कैसे। 
रात कटी है सोच, कटे दिन जैसे तैसे।। 
कहे 'सुधा' कर जोड़, होय न प्याज पे दंगा। 
न हो भ्रष्ट आचार,नहीं हो कुछ भी महँगा।। 



सुधा सिंह 🦋