IBlogger interview
मंगलवार, 26 दिसंबर 2023
देर ना करना पिया जी... गीत
देर ना करना पिया जी... गीत
देर ना करना पिया जी
आस की फिर लौ जली है ।
चाँदनी भी खिलखिलाई
बाग में चटकी कली है ।।
तान छेड़े मन मुरलिया,
रात दिन तुमको पुकारे।
दूरी अब जाए सही न
तू कहाँ है ओ पिया रे।। 1।।
उर्मियाँ हिय की उछलती
जलधि से मिलने चली है।
देर ना करना पिया जी
आस की फिर लौ जली है ।।
बिन तुम्हारे जगत सूना
हर तरफ अंधियारा है।
चांदनी रातें न भाएँ
लगती ज्यों अंगारा है।।
दर्श को आँखें तरसती
विरह में पल पल जली है।
देर ना करना पिया जी
आस की फिर लौ जली है ।।2।।
हृदय में मूरत तुम्हारी
है पिया मैंने बसाई।
तुम्हीं हो हर ओर दिखते
तुम्हीं हो देते सुनाई।।
राह कब तक और देखूँ
साँस की संझा ढली है।
देर ना करना पिया जी
आस की फिर लौ जली है ।।3।।
रविवार, 18 सितंबर 2022
कहते थे पापा
कहते थे पापा,
" बेटी! तुम सबसे अलग हो!
सब्र जितना है तुममें
किसी और में कहाँ!
तुम सीता - सा सब्र रखती हो!! "
बोल ये पिता के
थे अपनी लाडली के लिए.........
या भविष्य की कोख में पल रहे
अपनी बेटी के सीता बनने की
वेदना से हुए पूर्व साक्षात्कार के थे।.....
क्या जाने वह मासूम
कि वह सीता बनने की राह पर ही थी
पिता के ये मधुर शब्द भी तो
पुरुष वादी सत्ता के ही परिचायक थे.
किन्तु वे पिता थे
जो कभी गलत नहीं हो सकते।
जाने अनजाने
पापा के कहे शब्दों को ही
पत्थर की लकीर
समझने वाली लड़की
सीता ही तो बनती है।
पर सीता बनना आसान नहीं होता।
उसके भाग्य में वनवास जरूरी होता है।
धोबी के तानों के लिए
और रामराज्य स्थापना के लिए
सीता सा सब्र जरूरी होता है।
नियति को सीता का सुख कहाँ भाता है
वह हर सीता के भाग्य में
केवल सब्र लिखती है।
दुर्भाग्य लिखती है।
वेदना लिखती है।
गुरुवार, 6 जनवरी 2022
दीप मन का सदा जगमगाता रहे– गीत
दीप मन का सदा जगमगाता रहे
डर करोना का दिल से भी जाता रहे
रौशनी की जगह ,वो तिमिर दे गया
मन की आशाएँ ,इच्छाएं वो ले गया
अब हुआ है सबेरा, जगो साथियों
गीत नव हर्ष का, दिल ये गाता रहे।
दीप मन का सदा जगमगाता रहे
डर करोना का दिल से भी जाता रहे
आया दुख का समय भी निकल जाएगा
हार पौरुष से तेरे वो पछताएगा
छोड़ दो डर को साथी, बढ़ो हर कदम
खौफ का मन से कोई न नाता रहे।।
दीप मन का सदा जगमगाता रहे
डर करोना का दिल से भी जाता रहे
फिसला है वक्त हाथों से माना मगर
कांटों से है भरी माना अपनी डगर
अपने विश्वास को डगमगाने न दो
यूं हंसों जग चमन खिलखिलाता रहे।
दीप मन का सदा जगमगाता रहे
डर करोना का दिल से भी जाता रहे
आंसुओं से भरी माना हर शाम थी
हर खुशी तेरी कोविड के ही नाम थी
लड़ बुरे वक्त से तू खड़ा है हुआ
जीत हर बाजी तू मुस्कुराता रहे।
दीप मन का सदा जगमगाता रहे
डर करोना का दिल से भी जाता रहे।
सुधा सिंह ‘व्याघ्र’💗
मंगलवार, 22 जून 2021
संकट मोचक हे हनुमान (भजन)
संकट मोचक हे हनुमान,
चहुँदिस पसरा है अज्ञान।
कोरोना की मार पड़ी है
उलझन में बिखरा इंसान।।
आई विपदा हमें संभालो
इस संकट से प्रभु बचा लो।
संजीवनी की आशा तुमसे
शरण में अपनी लो भगवान।।
काल नेमि का काल बने तुम
कनक लंक को जार दिए तुम।
भक्तों का तुम एक सहारा
करो कृपा हे कृपा निधान।।
राम तुम्हारे हृदय समाए
महिमा तुम्हारी कही न जाए।
अष्ट सिद्धियों के तुम स्वामी
खुशियों का दे दो वरदान।।
सोमवार, 14 जून 2021
कर्ज़
मन हरण घनाक्षरी
विषय :कर्ज़(11/10/2020)
रूखा सूखा खाइए जी
ठंडा पानी पीजिए जी
दूजे से उधार किन्तु
लेने नहीं जाइए
रातों को न नींद आए
दिन का भी चैन जाए
भोगवादी धारणा को
चित्त से हटाइए
जीना भी मुहाल होगा
दुख बेमिसाल होगा,
धैर्य सुख का है मंत्र
उसे अपनाइए
श्रम से विकास होगा
दीनता का नाश होगा
श्रम से ही जीवन को
सफल बनाइए
सुधा सिंह व्याघ्र
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