रविवार, 17 नवंबर 2019

मौन ही करता रहा मौन से संवाद

मौन 


नवगीत :

मौन ही करता रहा ,मौन से संवाद।
ख्वाब भीगे अश्रु से , हुए धूमिल नाद।।

प्रिय तुम्हारी याद में ,रहा विकल ये मन ।
न कोई उम्मीद थी ,ना आस की किरण ।
मिली हमको जिन्दगी, दुख जहांँ आबाद ।
मौन ही करता रहा , मौन से संवाद।।

आसमां में चाँद भी ,रो रहा दिन रात।
ओस की हर एक बूंद ,सह रही आघात।।
न कोई उल्लास अब ,न कोई अनुनाद।
मौन ही करता रहा मौन से संवाद ।

दूर अब प्रिय ना रहो, मन सदा अकुलाय।
प्यार में बदनामियां, अब सही न जाए।।
क्या उन्हें समझाएँ, क्यों करें प्रतिवाद।
मौन ही करता रहा, मौन से संवाद ।।

सुधा सिंह 🦋




    

श्रेष्ठ लड़की (कुण्डलियाँ)

बेटी दिवस 

1:कुंडलियां
लड़कों से लड़की यहाँ , श्रेष्ठ विश्व में आज।
लड़की को शिक्षित करो,लड़की सिर का ताज।।
लड़की सिर का ताज,नाम कर देगी ऊँचा।
देगी खुशी अपार, लखे संसार समूचा।।
सुगम बना दो राह, रिक्त पथ हो अडकों से।
घर लाएगी हर्ष , श्रेष्ठ लड़की लड़कों से ।।

 सुधा सिंह 🦋


अडकों:बाधाओं, रुकावटों


बुधवार, 13 नवंबर 2019

कुछ जीवनोपयोगी दोहे ..1




1:रिश्ते :

यारों इस संसार में, रिश्तों का न मोल। 
जिन नातों में प्रेम है ,  हैं वे ही अनमोल।। 

2:कालिमा :

मन में हो जब कालिमा, जग भी बैरी होय।  
हिय में प्यार जगाइये, मित्र लगे सब कोय।। 

3:अनुबंध :

सात फेरे लगते जब , बनते तब अनुबंध। 
जनमों का नाता बने,    फैले प्रेम सुगंध।। 

4:कलेवर :

रोज नए रंग देखकर, मन जाता है काँप । 
लोग कलेवर ओढ़ते,   जैसे ओढ़े साँप।। 

5:मान :

पाना हो यदि मान तो, कर लो ऐसे काम। 
मिले दुआएं लोक की, जग में होवे नाम।। 

6:प्रासाद :

सब चाहे प्रासाद को, नहीं झुग्गी की आस। 
शुचिता को हैं त्यागते , करते धर्म का नाश।। 

7:कर्महीनता 

कर्महीन हो सो रहे, सत्कर्मों को भूल। 
पीछे पछताना पड़े ,नाव न लागे कूल।। 


कुछ नए दोहे :

8:चिंतन 

चिंतन कर ले रे मना, चिंता दे बिसराय। 
पावन हो तव आतमा,हिय में हर्ष समाय।। 

9:अटल :
अटल इरादे हों अगर , सब कुछ सम्भव होय ।
मुट्ठी में हो ये जहां ,      मिले आसमां तोय।। 

10:आरक्षण :

सबको सबकुछ चाहिए,कम न किसी को भाय।
कर पसारे बैठे हैं,     आरक्षण मिली जाय ।।

11:कुर्सी 

स्वाभिमान को रौंदकर,   कुरसी पीछे धाय।
 सज्जनता बाकी नहीं, मातोश्री अकुलाय।। 

11 Nov 2019 


रविवार, 3 नवंबर 2019

देश है पुकारता... मनहरण छंद



दिनांक :३.११.१९
विधा :~मनहरण घनाक्षरी छंद ~

देश की माटी ये मेरी , लाल रक्त से सनी है।
आँखों में हैवानियत, ख्यालों में है नीचता।।

नेता खून चूस रहे , जनता फटेहाल है ।
ऐसी व्यवस्था से नहीं, कोई क्यों निकालता ।।

लाज आज लुट रही , बेटियों की देश की ।
स्वार्थ निज साधते वो, खो चुकी मनुष्यता।।

मान सम्मान इसका, दांव पे लगा है आज।
 छेड़ो युद्ध मेरे वीरों , देश है पुकारता ।।

सुधा सिंह 🦋
 🙏🙏🙏

आस.... (विधा :गीत )




आस
आस 
विधा :गीत
 दिनांक :2.11.19
 विषय :आस


 पलकों में सपने सजाए, आस मन पलती रही ।
 मन उजाला भर गया, और धुंध भी छटती रही ।।

 वो मिलेगा एक दिन, चाहा था जिसको ऐ सखी ।
 थाम कर उम्मीद का दामन, चली मैं उस गली ।।
पांँव में छाले पड़े, और याद में तिल - तिल जली।
पलकों में सपने सजाए, आस मन पलती रही ।।

 उनकी मीठी बातों ने, पल पल हँसाया था मुझे ।
 ख्वाबों ने आ आके, नींदों में जगाया था मुझे।।
 जिन्दगी सुख दुख के पंखे, से सदा झलती रही।
 पलकों में सपने सजाए, आस मन पलती रही ।।

 आज खुशियों के गगन में, सुख का सूरज है उगा।
 निविड़ तम को भेद करके, भोर भी है अब जगा।।
 प्रिय मिलन की प्यास मेरी , आज है बुझती रही।
 पलकों में सपने सजाए, आस मन पलती रही ।।


 सुधा सिंह 🦋