शनिवार, 30 मार्च 2019

ग़रीबी - प्रश्न चिह्न

गरीबी- प्रश्नचिह्न

तरसते दो जून
की रोटी को
धन और साधन की
कमी से जूझते
मैले- कुचैले
चीथड़ों में
जीवन के
अनमोल स्वप्न सजाते
सूखे शरीर से चिपके
नवजात को
अपने आँचल का
अमृत - धार
न पिला पाने की
विवशता में
मन ही मन घुटते
तंगी में रह रहकर
जीवन यापन
करने को मजबूर
फटे लत्ते को भी
भीख में
मांगने वालों में
जिजीविषा???
बहुत बड़ा प्रश्न!!!!

सुधा सिंह 👩‍💻




16 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (01-04-2019) को "वो फर्स्ट अप्रैल" (चर्चा अंक-3292) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    उत्तर
    1. चर्चा मंच में स्थान देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया 🙏 आदरणीय शास्त्री जी 🙏 🙏

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  2. प्रश्न तो बड़ा है पर अगर ये न हो तो बाहर आना आसान नहीं होता ऐसी अवस्था से ...

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  3. उत्तर
    1. प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ओंकार जी. सादर 🙏

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  4. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना 3 अप्रैल 2019 के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    उत्तर
    1. पाँच लिंकों का आनंद में स्थान देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया पम्मी जी 🙏 🙏 🙏 सादर

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  5. हृदय स्पर्शी रचना सुधा जी मार्मिक पर सत्य।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया कुसुम दी. आपकी प्रतिक्रिया मिली रचना सार्थक हो गई. 🙏 🙏 🙏 सादर

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  6. बहुत सुन्दर ...हृदयस्पर्शी रचना...।

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  7. जीवन के
    अनमोल स्वप्न सजाते
    सूखे शरीर से चिपके
    नवजात को
    अपने आँचल का
    अमृत - धार
    आपने बहुत ही खूबसूरती के साथ अपने इन भावों को प्रस्तुत किया हैं।

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    उत्तर
    1. प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत शुक्रिया संजय जी 🙏 🙏

      हटाएं

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