नवगीत
विधा :कुकुभ छंद (मापनी16,14)
पल पल हम हैं साथ तुम्हारे *
वरण हमारा कर लेना *
परम लक्ष्य संधान करो जब,*
याद हमें भी कर लेना*
साथ मिले जब इक दूजे का, *
कुछ भी हासिल हो जाए ।*
शूल राह से दूर सभी हो, *
घने तिमिर भी छँट जाएँ।। *
मुट्ठी में उजियारा भर कर, *
दूर अँधेरा कर देना। *
परम लक्ष्य संधान करो जब, *
याद हमें भी कर लेना ।। *
नहीं सूरमा डरे कभी भी, *
कठिनाई कितनी आई। *
रहे जूझते जो लहरों से,
ख्याति कीर्ति उसने पाई।। *
कष्टों से भयभीत न होना, *
बात गांठ यह कर लेना। *
परम लक्ष्य संधान करो जब, *
याद हमें भी कर लेना।। *
अभी उजाला हुआ, सखे हे! *
मानव हित कुछ कर जाना। *
पथ में बैरी खड़े मिलेंगे, *
मत पीछे तुम हट जाना।। *
जब जब मुल्क पुकारे तुमको,
कलम छोड़ शर धर लेना।
परम लक्ष्य संधान करो जब, *
याद हमें भी कर लेना ।। *
पल पल हम हैं साथ तुम्हारे *
वरण हमारा कर लेना *
परम लक्ष्य संधान करो जब,*
याद हमें भी कर लेना*