ये झुर्रियाँ..।
ये झुर्रियाँ मामूली नहीं,
ये निशानी है अनुभवों की।
इन्हें अपमान न समझो
कोने में पड़ा कूड़ा नहीं ये,
इन्हें घर का मान और सम्मान समझो।
हर गुजरे पल के गवाह है ये,
इन्हें बेकार न समझो।
चिलचिलाती धूप में छांव है ये,
इन्हें अंधकार न समझो।
ये पोपले चेहरे कई कहानियां कहते है,
सीख लो इनसे कुछ।
इन्हें पुराना रद्दी या अख़बार न समझो
उंगली पकड़ कर चलना सिखाया था जिसने कभी ,
इन्हें अपनी राह का रोड़ा, कभी यार न समझो।
मिलेगा प्यार और दुलार, इनके पास बैठो ।
इन्हें सिर्फ झिकझिक और तकरार न समझो।
बूढी लाठी जब चलती है, अपनो से ठोकर खाती है।
बन संबल इनके खड़े रहो ,
इन्हें धिक्कार न समझो।
माना कि बूढ़े ,कपकपाते हाथों में, अब वो जान नहीं ।
पर जब उठेंगे ,देंगे ये आशीष ही, हर बार समझो।
ये हमारी पूँजी हमारी धरोहर है
इन्हें संभालो ,इन्हें संजोओ,
इन्हें धन दौलत से नहीं,
बस तुम्हारे प्यार से सरोकार है समझो।
डूबता ही सही, पर याद रखो सूरज हैं ये
ढलेंगे तब भी आकाश में ,
अपनी लालिमा ही बिखेरेंगे याद रखो।
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