🌷 गीतिका 🌷
🌺 देवी छंद 🌺 **********************
मापनी- 112 2
हम सेवी।
तुम स्वामी ।।
मुख तेरा ।
अभिरामी।।
पद लागूँ।
दिक- स्वामी।
हम दंभी।
खल कामी।।
अपना लो।
भर हामी।।
चित मेरा।
*क्षणरामी*।।
हँसते हैं।
प्रति गामी।।
कर नाना।
बदनामी।।
बन जाऊँ।
पथ गामी।।
सुधा सिंह 'व्याघ्र'
क्षणरामी- कपोत, कबूतर
नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 02 जून 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आपकी रचना की पंक्ति-
"बन जाऊँ पथ गामी..."
हमारी प्रस्तुति का शीर्षक होगी।
मेरी रचना का अंश आज के अंक का शीर्षक बना ।बहुत ख़ुशी हुई। आपका बहुत बहुत आभार भाई।
हटाएंबहुत सुंदर सखी 👌👌👌
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार सखी
हटाएंबहुत ही सुन्दर रचना सखी 👌👌
जवाब देंहटाएंउरतल से आभार सखी
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय।सादर
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (03-06-2020) को "ज़िन्दगी के पॉज बटन को प्ले में बदल दिया" (चर्चा अंक-3721) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मेरी रचना को चर्चा में शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार आदरणीय।नमन
हटाएंबहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंकम मात्राओं के छंद में लिखना आसान नहीं होता ...
बहुत दुष्कर कर्म को सहज बना दिया आपने ... बहुत लाजवाब रचना ...
इन स्नेहिल शब्दों के हृदयतल से आभार प्रकट करती हूँ आदरणीय
हटाएंआपका आना भी किसी पुरस्कार से कम नहीं है मेरे लिए। बहुत बहुत धन्यवाद आपका।सादर
वाह !लाजवाब आदरणीय दी 👌
जवाब देंहटाएंइस स्नेहिल टिप्पणी के लिए धन्यवाद सखी
हटाएंवाह!गागर में सागर भरना इसे ही कहते हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय 🙏
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