बुधवार, 18 मार्च 2020

कहमुकरियाँ - 2



Jhumka 

7: अंजन

श्याम वर्ण मुझे खूब लुभाता।
आँखों में मेरी बस जाता।।
हम दोनों का प्यारा बंधन।
क्या सखि साजन?
ना सखि अंजन....


8: गाँव

मुझको अपने पास बुलाता।
ना जाऊँ तो जी अकुलाता।।
देता मुझे वो सुख की छाँव।
क्या सखि साजन?
 नहीं सखि गाँव...


9: समंदर

अस्थिर कभी, कभी ठहरा है।
उसका हृदय बड़ा गहरा है।।
नमक खूब है उसके अंदर।
क्या सखि साजन?
नहीं समंदर...

10:अखबार

बात ज्ञान की वह बतलाता।
खबरें रोज नई व‍ह लाता।।
सबकी पोल खोलता यार।
क्या सखि साजन?
नहीं अखबार...

11: मोबाइल

बिन उसके मैं चैन न पाऊँ।
नहीं मिले तो मैं घबराऊँ।।
देखूँ उसे तो आए स्माइल।
क्या सखि साजन?
नहीं मोबाइल...


12:झुमका

गालों को व‍ह जब तब चूमे।
झूमूँ मैं तो व‍ह भी झूमे।।
चाहूँ जैसे लगाए ठुमका।
क्या सखि साजन?
ना सखि झुमका..

सुधा सिंह 'व्याघ्र' 

9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत प्यारी कहमुकरियाँ।
    छायावादी झलक।
    नई रचना- सर्वोपरि?

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    उत्तर
    1. त्वरित प्रतिक्रिया के लिए धन्‍यवाद रोहितास जी

      हटाएं
  2. चर्चा में स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद आदरेय 🙏🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  3. नमस्ते,

    आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 19 मार्च 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  4. चर्चा में स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद आदरेय 🙏🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर सृजन
    सादर

    पढ़ें- कोरोना

    जवाब देंहटाएं

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