Jhumka |
7: अंजन
श्याम वर्ण मुझे खूब लुभाता।आँखों में मेरी बस जाता।।
हम दोनों का प्यारा बंधन।
क्या सखि साजन?
ना सखि अंजन....
8: गाँव
मुझको अपने पास बुलाता।ना जाऊँ तो जी अकुलाता।।
देता मुझे वो सुख की छाँव।
क्या सखि साजन?
नहीं सखि गाँव...
9: समंदर
अस्थिर कभी, कभी ठहरा है।उसका हृदय बड़ा गहरा है।।
नमक खूब है उसके अंदर।
क्या सखि साजन?
नहीं समंदर...
10:अखबार
बात ज्ञान की वह बतलाता।खबरें रोज नई वह लाता।।
सबकी पोल खोलता यार।
क्या सखि साजन?
नहीं अखबार...
11: मोबाइल
बिन उसके मैं चैन न पाऊँ।नहीं मिले तो मैं घबराऊँ।।
देखूँ उसे तो आए स्माइल।
क्या सखि साजन?
नहीं मोबाइल...
12:झुमका
गालों को वह जब तब चूमे।झूमूँ मैं तो वह भी झूमे।।
चाहूँ जैसे लगाए ठुमका।
क्या सखि साजन?
ना सखि झुमका..
बहुत प्यारी कहमुकरियाँ।
जवाब देंहटाएंछायावादी झलक।
नई रचना- सर्वोपरि?
त्वरित प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद रोहितास जी
हटाएंचर्चा में स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद आदरेय 🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 19 मार्च 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
चर्चा में स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद आदरेय 🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कह मुकरियाँ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आदरणीय 🙏
हटाएंबहुत सुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंसादर
पढ़ें- कोरोना
शुक्रिया आदरणीय 🙏
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