मंगलवार, 28 मार्च 2017

बाल कविता :भारत माँ के वीर सपूत हम

भारत माँ के वीर सपूत हम,
कभी नहीं घबराएंगे!
नहीं डरेंगे दुश्मन से,
छाती पर गोली खाएंगे!

हम साहस से भरे हुए हैं,
हर विपदा दूर भगाएंगे!
बधाए आती है आए,
हम उनसे टकराएंगे!
ध्वज को सदा रखेंगे ऊंचा,
उसकी शान बढ़ाएंगे!
भारत माँ के वीर सपूत हम,
हम कभी नहीं घबराएंगे!

रक्त से रंजित धरा न होगी,
हम सौगंध ये खाते हैं!
भारत माँ की सीमा की,
रक्षा की कसम उठाते हैं!
गर दुश्मन आँख दिखाएगा,
हम उसको सबक सिखाएँगे!
भारत माँ के वीर सपूत हम,
कभी नहीं घबराएंगे!

हम में लोहा भरा हुआ है,
हम न कभी भी डिगने वाले!
हम को रोक सका न कोई,
हम सीधी डगर पर चलनेवाले!
कोई राह हमारी रोके,
उसको सबक सिखाएँगे!
भारत माँ के वीर सपूत हम,
कभी नहीं घबराएंगे!

महाराणा है बच्चा- बच्चा,
हर लड़की लक्ष्मीबाई है!
वीर शिवाजी के वंशज,
हम नई क्रांति लाएंगे!
'सोने की चिड़िया' को फिर से
ऊंचे गगन उड़ाएंगे!
भारत माँ के वीर सपूत हम
हम कभी नहीं घबराएंगे!


मातृभूमि है सबसे ऊपर,
सबको ये बतलाना है!
ऊंच नीच और जाति भेद को,
जड़ से हमे मिटाना है!
भारत की संस्कृति को,
फिर से पल्लवित कर दिखलाएंगे!
भारत माँ के वीर सपूत हम,
हम कभी नहीं घबराएंगे!

©सुधा सिंह




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