कैसे भी हों हालात मगर ,
सफर अपना जारी रखो।
सफर अपना जारी रखो।
डगर में मुश्किलें आएंगी कई
उनसे लड़ने की तैयारी रखो।1।
उनसे लड़ने की तैयारी रखो।1।
बढ़ते कदमों को रोकने वाले,
राह में मिल जायेंगे बहुत,
राह में मिल जायेंगे बहुत,
जो आ सको काम किसी के,
वो नीयत ,वो दिलदारी रखो।2।
वो नीयत ,वो दिलदारी रखो।2।
पेट की आग इंसान को
इंसान रहने देती नहीं,
बाँट लो अपनी रोटी का एक टुकड़ा उससे, खुद को स्वल्पाहारी रखो।3।
इंसान रहने देती नहीं,
बाँट लो अपनी रोटी का एक टुकड़ा उससे, खुद को स्वल्पाहारी रखो।3।
सियासत के इस खेल में,
अपने और पराए ढूँढ पाओगे नहीं,
अपने और पराए ढूँढ पाओगे नहीं,
बस रह जाए साख सलामत अपनी, उतनी तो जानकारी रखो।4।
देखकर दुनिया का चलन 'सुधा ', अब तो डर लगता है बहुत,
कहीं खत्म न हो जाए इंसानियत थोड़ी उसपे भी पहरेदारी रखो।5।
प्रेरक रचना।
जवाब देंहटाएंदेखकर दुनिया का चलन 'सुधा ', अब तो डर लगता है बहुत,
जवाब देंहटाएंकहीं खत्म न हो जाए इंसानियत थोड़ी उसपे भी पहरेदारी रखो
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 30 जुलाई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बडिया रचना
जवाब देंहटाएंबढ़ते कदमों को रोकने वाले,
जवाब देंहटाएंराह में मिल जायेंगे बहुत,
जो आ सको काम किसी के,
वो नीयत ,वो दिलदारी रखो।2।
वाह!!!!
क्या बात...
बहुत ही सुन्दर प्रेरक सृजन।