IBlogger interview
शनिवार, 18 जुलाई 2015
शुक्रवार, 17 जुलाई 2015
एकता
आओ बच्चों हम सब सीखे, जीने का एक नया सलीका।
हम सब अगर एक हो जाएँ , बाल न बांका होगा किसी का।
हाथी झुंड में जब आता है, खूंखार भेड़िया घबराता है ।
है एकता की यह ताकत, आसमान भी झुक जाता है ।
एक बूंद धरती पर गिरके ,क्षणभर में मिट जाती है ।
मिले अगर वह और बूंद से, वह समुद्र बन जाती है ।
पुष्प अगर अकेला है तो,उपवन नहीं महकते हैं ।
कई पुष्प जब मिल जाते हैं, माला बनके मुसकाते हैं।
एक ऊंगली कुछ कर नहीं सकती, पांचों मिले तो क्या है बात।
मिलकर मुट्ठी जब बन जाते, खट्टे हो दुश्मन के दांत ।
ये केवल एक शब्द नहीं, इसमें असीम ताकत का वास।
हर बाधा पर होगी विजय, सब मिलकर जब करें प्रयास ।
पुरखों ने यह बतलाया है, निसर्ग ने भी सिखलाया है ।
साथ सभी जब आ जाएंगे, ह्रास कभी न होगा किसी का ।
आओ बच्चों हम सब सीखे, जीने का एक नया सलीका।
हम सब अगर एक हो जाएँ , बाल न बांका होगा किसी का।
मंगलवार, 7 जुलाई 2015
क्यों वह कहीं और रोप दी जाती है ?
क्यों वह कहीं और रोप दी जाती है ?
जिस बगिया में वह अपनी पहली सांस लेती है ।
जिस उपवन को वह अपनी खुशबू से महकाती है ।
जिसे देखकर माली के चेहरे पर मुस्कान छलक जाती है ।
क्यों वह कहीं और रोप दी जाती है ?
जिसे देखकर चमन में बहार आती है ।
जिसे देखकर भंवरों में चंचलता आती है ।
वह पूरी तरह खिल भी नहीं पाती है ।
फिर वह क्यों बेरहमी से तोड़ दी जाती है ?
देखकर जिसे ऋतु वसंत को तरुणाई आती है ।
देखकर जिसे बयार मंद - मंद मुस्काती है ।
क्यों उसकी खुशियां जमाने को रास नहीं आती हैं?
क्यों वह अपनी ही माटी से उखाड़ दी जाती है?
ये कैसी रीति है कि
उसे अपना घर छोड़ना ही पड़ता है ।
उसे अपने बाबुल से बिछड़ना ही पड़ता है ।
वह अपने छोड़ , दूसरों के सपने सजाती है ।
फिर भी क्यों वह पराई कही जाती है ?
आखिर क्यों वह कहीं और रोप दी जाती है? ............
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