बुधवार, 1 जुलाई 2015

बने रहें हम सब इनसान


प्रभु अरज मेरी  बस इतनी -सी है ,
बने  रहें  हम सब इनसान ॥
नजर में  कोई  खोट न हो,
न करें  किसी  का भी  अपमान ॥

करो कृपा  सही  राह  पकड़ लें,
औ' चल पाएं हम सीना तान ॥
न कभी किसी को दुखी करें ,
बना रहे सबका सम्मान॥

लालच अन्याय और अत्याचार,
मिट जाए इनका नाम निशान ॥
हमको इस काबिल देव बना ,
चोटिल न हो  हमारा स्वाभिमान ॥

न नीयत कभी बिगड़ने पाए,
सबको तू  इतना  दे भगवान ॥
 प्रभु अरज  मेरी  बस इतनी सी है ,
 बने रहे  हम सब इनसान ॥


विश्वास





मत हार मानकर ऐसे  बैठ,
कर  अपने पंखों  पर  विश्वास ॥
अंबर नीचे  आ जाएगा
और  तुझको  होगा  ये एहसास ॥

जब निश्चय  दृढ  हो जाता है
पूरी होती है  हर आस॥
अवरोध  सभी  मिट जाते हैं
जब  दिल  से  कोई  करे प्रयास॥

हर ओर  उजाला  होता है
अंधकार  का  होता  ह्रास ॥
जीत  नई  अंगडाई  लेती
और  बनाती  रिपु  को ग्रास॥

मन में धधकेगी जब 'लौ' तो
समय  बनेगा  तेरा  दास ॥
डैनों में भरके  नये  हौसले
उड़  चल  और  नाप आकाश ॥

मत  हार  मानकर ऐसे बैठ
 कर अपने  पंखों पर विश्वास ॥









सोमवार, 29 जून 2015

जीवन की सच्चाई






ताउम्र  गुजार दी हमने,
जीवन की इस आपाधापी में!
अपना इक सुंदर - सा 
आशियाना बनाने में ।

जब दो पल का आराम मिला,
तो आशियां मेरा खाली मिला ।
न वो थे,
 जिनके लिए  बनाया था ये आशियां।
न हम ,हम रह पाए ,
जिसने  सजाया था ये आशियां।

खाली  दीवारों से टकराकर लौटती हुई आवाजें ,
मुझे  मुँह  चिढा रही हैं ।
मानों  मुझे  आईना दिखा रही हैं ।
उन सुनहरे  पलों  की याद दिला रही हैं ।
जो रेत  की  मानिन्द ,
मेरे  हाथों  से  फिसल गई ।
और  मैं  खाली हाथ  मलती रह गई ।

अब तो इष्ट से जिरह करनी है मुझे, 
  कि एक उम्र और चाहिये मुझे ,
अपना आशियां फिर से  बसाने के लिए ।
अपनी पूरी जिंदगी अपनों के साथ बिताने के लिए ।
सुधा सिंह 🦋 

रविवार, 28 जून 2015

प्रेम की परख



उन्हें  आजमाया न करो ऐ दोस्त  ,
जो  तुम्हें  प्यार करते  हैं।
कहीं  कोई  गुस्ताखी न हो जाए ,
इसलिए वे चुप  रहते  हैं ।।

ये  जरूरी  तो नहीं  कि
हर बात  बोलकर  ही बताई  जाए।
भावनाएं  उनकी  भी  होती हैं
जिन्हें  हम  'मूक' कहते हैं ।।