शुक्रवार, 18 सितंबर 2015

मेघा रे।।

कृषकों के दृग हैं अम्बर पर,
आ जाओ अब मेघा रे।
तपन करो अब दूर धरा की,
ऐसे बरसो मेघा रे।
दूर देश की छोड़ यात्रा,
दे दो दर्शन अपना रे।

नदी-ताल सब सूख रहे हैं,
पय बरसाओ मेघा रे।
नगर -ग्राम सब पड़ा है सूना, 
जल्दी बरसो बदरा रे।
नयन तुम्हारे दरस को तरसें,
 झर गया सबका कजरा रे।

बहुत ही चुकी लुका -छिपी ,
अब मत बहकाओ मेघा रे।
खग ,मृग ,पादप, नर औ नारी,
सबकी प्यास बुझाओ रे।
मोर पपीहे लगें नाचने ,
बरसो यूँ सारंगा रे।

लूह बदन को जला न पाये, 
जमके बरसो मेघा रे।
उमड़ घुमड़ के ऐसे बरसो ,
खुश हो जाये सगरा रे।
धान्य से सबका घर भर जाये,
भर जाये सबका अँचरा रे।

हम सबको अब मत तरसाओ 
अब तो आ जाओ  मेघा रे।।

रविवार, 6 सितंबर 2015

गुरु की महिमा


गुरु की महिमा का कोई, कैसे करे बखान।
गुरु केवल शब्द नहीं ,वह है गुणों की खान।

शिष्य के मन को उज्वल करता ,सूर्य समान गुरु का ज्ञान।
बिना गुरु भविष्य तमोमय,और स्याह है वर्तमान।

गुरु की महिमा समझी जिसने ,बन बैठा वह मनुज महान।
भूला विश्व कभी न उसको ,मात - पिता की बढाई शान।

गुरु द्रोण से पाकर शिक्षा ,अर्जुन देखो बना महान।
तीरंदाज न उसके जैसा,कौरव का किया काम तमाम।

आचरेकर सा गुरु जो पाया , बना सचिन क्रिकेट का भगवान।
देश - विदेश में नाम कमाया,और बढाई देश की शान।

परमहंस की बात मानकर, नरेंद्र बन गये विवेकानंद।
स्वज्ञान का मनवाकर लोहा, कर दिया पूरे विश्व को दंग।

पकड़ के उंगली कदम बढ़ाओ, करो नहीं खुद पर अभिमान।
दंभ को अपने रखो किनारे ,न कभी करो उनका अपमान ।

देव वाणी है ,गुरु की वाणी ,पूज्य भी वो ईश्वर के समान।
संशय उन पर कभी करो न , है ईश्वर पर यह शक के समान।

 सेवा में उनकी जुट जाओ, पा जाओगे आसमान।
धन - दौलत की प्यास उन्हें न ,उनको केवल दो सम्मान।

राह गुरु जो दिखलाते हैं , सदा ही उस पर करो गमन।
करके आत्मसात गुरु ज्ञान , महका लो तुम अपना चमन।







गुरुवार, 3 सितंबर 2015

आरक्षण



आरक्षण की आग लगी है ,
देश में ऐसा मचा बवाल ।
सोना की चिड़िया था जो,
चलता अब कछुए की चाल।

अम्बेडकर, गांधी ,नेहरू,
सबने चली सियासी चाल ।
देश की नीव को करके  खोखला ,
पकड़ा दी आरक्षण की ढाल।

आरक्षण की लाठी लेकर,
 कौवा चला हंस की चाल।
मेहनतकश मरता बेचारा ,
फंसके आरक्षण की जाल।

अनूसूचित जाति में जन्मे ,
तब तो समझो हुआ कमाल।
कुर्सी पर आराम से बैठो ,
और जेब में हाथ लो डाल।


बिना कुछ किये मिलेगा मेवा,
सोच न क्या है देश का हाल।
मेहनत से हमको क्या है लेना,
हम अनुसूचित जाति के लाल।

हम बैठ मजे से ऐश करेंगे ,
न होगा हमारा बांका बाल।
जिनको मरना है मर जाये,
हमसे न कोई करे सवाल।

उन सबका अधिकार छीनकर ,
कर देंगे उनको कंगाल।
पढ़ लिखकर हमको क्या करना ,
है साथ हमारे आरक्षण की ढाल।

वोट बैंक भी पास हमारे ,
और नेता है हमारी मुट्ठी में।
जिनको अपनी कुर्सी प्यारी,
वो करें हमारी देखभाल।