(इन पंक्तियों में मैंने उन बेटियों की व्यथा लिखने की कोशिश की है जिनका शराबी पिता उन्हें घर में बंद करके न् जाने कहाँ चला गया और उन बच्चियों के शरीर में कीड़े पड़ गए इस घटना ने मुझे बहुत आहत किया।इसी प्रकार न् जाने ऐसे कितने ही लोग नशे की लत में पड़कर अच्छाई और बुराई के बीच का अंतर भुला देते हैं तथा गलत और अनुचित कार्य कर बैठते है।ऐसी घटनाएँ केवल निम्न वर्ग में ही नहीं होती अपितु कई धनाढ्य परिवारों और माध्यम वर्गीय परिवारो में भी यह आम है)
मुझको प्यारे पापा मेरे ,पर शराब उनको प्यारी है।
वो जब् भी घर में आ जाती ,पड़ती हम पर भारी है।
पापा पापा न् रह जाते ,जब वो हलक में उनके जाती है।
दुनिया उसकी दीवानी ,वो सबको नाच नचाती है।
मेरे पापा भी इसके ,चंगुल से बच नही पाये हैं
इसलिए तो पापा घर में, 'शराब सौतन' लाये हैं।
कभी कभी तो यही शराब, पापा को रंग दिखाती है
यहाँ -वहाँ से पिटवाती ,नाले से भेंट कराती है।
बच्चों की अठखेली उनको , जरा न् प्यारी लगती है।
मम्मी से भी ज्यादा उनको, शराब न्यारी लगती है।
नौ बजते ही मेरे घर में , सन्नाटा छा जाता है।
हमें देखते ही उनकी आँखों में, गुस्सा आता है।
जब् तक हमको पीट न् लेते ,उनको नींद न् आती है।
माँ भी मेरी पिट- पिटकर ,मन मसोस रह जाती है।
माँ डर -डर कर हमें पालती,रोती है चिल्लाती है
अपनी इस सौतन के आगे ,कुछ भी कर न् पाती है।
खौफ था पापा का इतना कि, रूह भी काँपा करती थी।
भविष्य हमारा उज्जवल हो ,यह सोच के माँ सब सहती थी।
घर के बाहर रात बिताने ,कई बार मजबूर हुए ।
पड़ोसियों से पनाह मांगी ,घर से निकले डरे हुए।
कभी -कभी तो दिन में भी हम , घर में अपने कैद हुए।
रात - रात भर सिसक -सिसक कर, तकिये भी थे नम हुए।
ठिठुर- ठिठुरकर सर्द रात , हम छत पे गुजारा करते थे ।
पापा मेरे मस्त होके 'एसी' में सोया करते थे।
बेटे से है प्यार उन्हें ,बस उसे दुलारा करते हैं।
बेटी सिर का बोझ है कहके, माँ को कोसा करते हैं।
कहते बेटी अपने घर जाये, उससे हम छुटकारा पाये।
अपना सारा दुःख और दर्द ,अपने घरवालों को बताये ।
हमसे न् कुछ लेना देना ,वो तो अब है हुई पराई।
चाहे वो सुख से जिए वहाँ पर, चाहे रहे सदा कुम्हलाई।
कितने घर बर्बाद है होते , लत जब् इसकी लगती है।
शासक इतनी बुरी है ये, अपनों में बैर कराती है।
जब् बोतल से बाहर आती, अपना रंग दिखाती है।
छोटे हो या बड़े हो वो ,सब को बहुत रुलाती है।
जिस घर में भी पाँव धरे उसे तहस नहस कर जाती है।
इंसाँ इसको जब् भी पिए ,ये उसको पी जाती है।
समझ न् आता दोष है किसका
पापा का या इस शराब का
या मेरे बेटी होने का ????????
चित्र :
गूगल साभार