शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2016

वसन्त








ऋतु वसंत की छटा निराली,
धरती पर फैली हरियाली।
पेड़ों पर गाये कोयलिया,
कलियों पर तितली मतवाली।

मदमस्त पवन गमका उपवन,
खुशबू से भीग रहा तन- मन।
धरती ने ओढ़ी पीली चुनरिया,
देख हुआ मदहोश गगन।

खेतों में बालें लहराएँ,
पक्षी पंचम स्वर में गायें।
कैसे पीछे रहे मोरनी,
वह भी अपनी तान लगाए।

आम की शाखें  बौर से भरी,
नई  कोंपले ओस से तरी।
पीली सरसों पास बुलाए,
सबके मन के तार बजाए।

मधुर -मधुर रस पीने को,
भँवरे कलियों पर मंडराएं।
सबको मस्त मगन करदे,
इसीलिये 'ऋतुराज' कहाये!


बुधवार, 10 फ़रवरी 2016

वसंत आगमन(हाइकू)




 वसंत आगमन(हाइकू)

1
भोर की गूँज
निशा की रवानगी
मुर्गे की बाँग

2
भू पर हुआ
वसंत आगमन
शीत गमन

3
हर तरफ
सबके मुख पर
मुस्कान आई

4
वातावरण
में सुंदरता छाई
महकी धरा

5
सघन वन
चिड़ियों का घोंसला
खेतो की मेड़

6
 नई कोंपलें
उल्लास से मगन
खग विहग

7
 पुहुप खिले
कली- कली मुस्काई
बहार आई

8
वसुंधरा पे
नवयौवन आया
कोयल गाई

9
आम के बौर
खेतों में लहराई।
पीली सरसों

10
 चंचल मन,
महका कण- कण
घर प्रांगण।