मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
IBlogger interview
(यहां ले जाएं ...)
Home
सबरंग क्षितिज :विधा संगम
Pankhudiya
IBlogger interview
मेरी प्रकाशित साझा पुस्तकें
▼
जिजीविषा
लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं.
सभी संदेश दिखाएं
जिजीविषा
लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं.
सभी संदेश दिखाएं
शनिवार, 9 मई 2020
जिजीविषा
›
गिरी थी, संभली थी,उठी थी ,चली थी। चुभे थे कंकड़, और ठोकरें लगी थी।1। शिथिल क्लांत सी, एकाकी डगर पर। सुरसाओं से, मेरी जंगें छिड़ी थी।...
22 टिप्पणियां:
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें