मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
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Pankhudiya
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मेरी प्रकाशित साझा पुस्तकें
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रविवार, 6 दिसंबर 2020
तुम कहाँ हो भद्र???
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तुम कहाँ हो भद्र??? उस दिन मन निकालकर कोरे काग़ज़ पर बड़ी सुघड़ता से रख दिया था मैंने। सोचा था किसी दृष्टि पड़ेगी तो अवश्य ही मेरे मन की ओ...
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रविवार, 1 नवंबर 2020
जी करता है... नवगीत
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जी करता है बनकर तितली उच्च गगन में उड़ जाऊँ बादल को कालीन बना कर सैर चांद की कर आऊँ दूषित जग की हवा हुई है विष ने पाँव पसारे हैं अँ...
शनिवार, 31 अक्तूबर 2020
भूल जाते हो तुम
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भूल जाते हो तुम कि एक अर्से से तुम्हारा साथ केवल मैंने दिया है जब जब तुम उदास होते मैं ही तुम्हारे पास होती तुम अपने हर वायदे में असफ़ल ...
8 टिप्पणियां:
शुक्रवार, 30 अक्तूबर 2020
इस गगन से परे
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गीत :इस गगन से परे (10,12) इस गगन से परे, है मेरा एक गगन झूमते ख्वाब हैं नाचे चित्त हो मगन 1 अपनी पीड़ा को खुद से परे कर दिया दीप उ...
शुक्रवार, 23 अक्तूबर 2020
सुनो बेटियों
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सुनो बेटियों जौहर में तुम कब तक प्राण गँवाओगी। हावी होगा खिलजी वंशज जब तक तुम घबराओगी।। रहना छोड़ो अवगुंठन में हाथों में तलवार धरो। च...
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