भूल जाते हो तुम कि
एक अर्से से तुम्हारा साथ
केवल मैंने दिया है
जब जब तुम उदास होते
मैं ही तुम्हारे पास होती
तुम अपने हर वायदे में असफ़ल रहे
और मैंने अपने हक की
शिकायतें कीं किन्तु
उन वायदों के पूरा होने का इंतज़ार भी किया
और आज भी इंतज़ार में ही हूँ
फिर भी तुम अक्सर
ये एहसास दिला ही देते हो
कि तुम्हारे लिए मैं उतनी महत्वपूर्ण नहीं
जितने वे हैं, जो तुम्हारे साथ कभी खड़े नहीं रहे
क्यों तुम ये भूल जाते हो कि
जीवन साथी जीवन भर
साथ निभाने के लिए होता है
खोखले वायदे करके
जीवन पर्यंत भरमाने के लिए नहीं.
फिर भी इंतज़ार करूँगी मैं, तब तक,
जब तक तुम्हारा चित्त
यह गवाही न देने लगे
कि तुमने मेरे जीवन में मेरे
साथी के रूप में प्रवेश किया है
और तुम्हें अपने कर्तव्यों का पालन
अब शुरू कर देना चाहिए
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 02 नवंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार 3-11-2020 ) को "बचा लो पर्यावरण" (चर्चा अंक- 3874 ) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
अंतर्मन के यथार्थ परतों को खोलती हुई सुन्दर रचना - - नमन सह।
जवाब देंहटाएंनारी मनबहुत मार्मिक शिकवा और मनुहार प्रिय सुधा जी. हार्दिक शुभकामनाएं और स्नेह के साथ 🌹🌹❤❤
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर मंगलवार 3 नवंबर 2020 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंक्यों तुम ये भूल जाते हो कि
जवाब देंहटाएंजीवन साथी जीवन भर
साथ निभाने के लिए होता है
खोखले वायदे करके
जीवन पर्यंत भरमाने के लिए नहीं. बेहतरीन रचना।
बस एक टीस...
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन लिखा ....
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