मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
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शुक्रवार, 2 मार्च 2018
फाग कहीं यो बीत न जाए!
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मैं बिरहन हूँ प्रेम की प्यासी न रँग, न कोई रास है! बदन संदली सूल सम लागे कैसा ये एहसास है! तुम जब से परदेस गए प्रिय ये मन बड़...
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