मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
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शुक्रवार, 4 अक्तूबर 2019
मानसिकता
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संजना ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं थी, बस इंटर पास थी ।पर आत्म विश्वास बिलकुल कम न था ।शादी से पहले उसने भी वही सपने देखे थे जो...
गुरुवार, 12 अप्रैल 2018
मृत हूँ मैं!
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हमेशा से ऐसा ही तो था हाँ.. हमेशा से ऐसा ही था जैसा आज हूँ मैं न कभी बदला था मैं और ना ही कभी बदलूंगा क्योंकि.. मृत हूँ मैं! म...
शनिवार, 3 फ़रवरी 2018
कुलदीपक
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कितना अच्छा है कि मैं लड़का नहीं हूँ. भले ही मेरे पापा, मेरे भाई से सबसे अधिक प्यार करते हैं और हमें बोझ समझते हैं . भले ही ...
शनिवार, 15 अगस्त 2015
हक़ीकत (व्यंग्य )
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समाज की कड़वी हकीकत का एक पहलू जहाँ लड़कियों को कोख में ही मार दिया जाता है वहीँ कुछ घरो में बेटी को पालना मजबूरी बन जाती है। बेटे को घर का च...
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