मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
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बुधवार, 25 दिसंबर 2019
माटी मेरे गाँव की..
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माटी मेरे गाँव की विधा :मुक्त गीत माटी मेरे गाँव की, मुझको रही पुकार। क्यों मुझको तुम भूल गए, आ जाओ एक बार।। बूढ़ा पीपल बाँह पसार...
10 टिप्पणियां:
सोमवार, 29 जनवरी 2018
कर्म
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कल गिरा जमीं पर मुट्ठी बांध, कल खोल हथेली जाएगा! दो गज धरती के ऊपर से या दो गज जमीन के नीचे ही, तू माटी में मिल जाएगा! माटी ही ...
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