मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
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मंगलवार, 1 जून 2021
मनुहार - व्याघ्र छंद
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अम्बर सजे तारे, खुला हिय का हर द्वार है खुशियाँ सिमट आईं,बही प्यार की बयार है त्योहार की ऋतु है, बजे ढोलकी मृदंग हैं। प्रिय साथ दे जो तू...
सोमवार, 25 दिसंबर 2017
अब लौट आओ प्रियवर.....
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अब लौट आओ प्रियवर..... अकुलाता है मेरा उर अंतर.. शून्यता सी छाई है रिक्त हुआ अंतस्थल. पल पल युगों समान भए दीदार को नैना तरस गए इंतज...
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