मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
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बुधवार, 7 फ़रवरी 2018
बुलबुला पानी का
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मेरे ख्वाबों का वो जहान प्रतिदिन प्रतिपल टूटता है, फूटता है और फिर बिखर जाता है ... हो जाता है विलीन एक अनंत में एक असीम में....
रविवार, 22 अक्तूबर 2017
मैं अकेली थी
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जरूरत थी मुझे तुम्हारी पर..... पर तुम नहीं थे! मैं अकेली थी! तुम कहीं नहीं थे! केवल तुम्हारी आरजू थी! तुम्हारी जुस्तजू थी! जो मु...
शुक्रवार, 4 नवंबर 2016
तलाश
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तलाश कुछ समझ नही आता जिंदगी.... तेरी गिनती दोस्तों में करूँ या दुश्मनों में ! चिड़ियों की मानिंद दर रोज, घोंसलों से दाने की खोज में ...
शुक्रवार, 3 जुलाई 2015
वो शख्स कहाँ से लाऊँ ! !
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दिल अपना चीरकर किसे दिखाऊँ, जो इसे समझ सके, वो शख्स कहाँ से लाऊँ ! ! जो मेरे लफ्ज़ों को, तराज़ू में न तोले जो मुझे समझ ले, मेर...
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