IBlogger interview

शुक्रवार, 12 जून 2020

रेखाएँ


रेखाएँ
रेखाएँ, 
रेखाएँ बहुत कुछ कहती हैं... 

उदासीनता, निस्संगता का 
सुदृढ़ रूप रेखाएँ, 
निर्मित होती हैं भिन्नताओं के बीच 
दो बहिष्कृतों के बीच 
दो सभ्यताओं के बीच 
एक मोटी दीवार सी 
दो सोच के बीच 
अमीर और गरीब के बीच 
ऊँच और नीच के बीच 

जो कहती हैं... 
इसमें और उसमें साम्‍यता नहीं है 
दूरी है, अलगाव है, एकरूपता नहीं है 
जैसे श्वेत, श्याम अलग हैं 
जैसे रात्रि, दिवा पृथक हैं 
ज्यों तेल और पानी का कोई मेल नहीं 

रेखाएँ कहती हैं कहानी 
विभाजन की
नादानी की 
मनमानी की 

ये आभास कराती हैं 
अपने और पराए के भेद का 
टूटने का, 
बिखरने का, 
जुदा होने का 

रेखाएँ निशानियां होती हैं 
अंतहीन महत्वाकांक्षाओं की
स्वार्थ की कभी न पटनेवाली
अथाह गहरी खाई की

रेखाएँ होती है वर्जनाएं 
ये तय करती हैं
सबकी सीमाएं 
मान्यताएँ और प्रथाएँ... 
जो हमेशा तनी रहती हैं 
अड़ी रहती हैं किसी अकड़ में 
किसी अहंकार में 
अपने अस्तित्व का 
परचम लहराते हुए 
मनुष्य पर अपनी सत्ता 
की धाक जमाते हुए 
धिक्कारते हुए... 
"देखो तुमने मुझे पैदा किया है।" 







15 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१३-0६-२०२०) को 'पत्थरों का स्रोत'(चर्चा अंक-३७३१) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

    जवाब देंहटाएं
  2. क्या बात है दी अति सूक्ष्म चिंंतन शानदार रचना।

    रेखाएँ होती है वर्जनाएं
    ये तय करती हैं
    सबकी सीमाएं
    मान्यताएँ और प्रथाएँ...
    जो हमेशा तनी रहती हैं
    अड़ी रहती हैं किसी अकड़ में
    किसी अहंकार में
    अपने अस्तित्व का
    परचम लहराते हुए

    बेहतरीन पंक्तियाँ लाजवाब अभिव्यक्ति।

    जवाब देंहटाएं
  3. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 12 जून जून 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर और सार्थक।
    रेखाओं के बारे में जानकारी मिली।

    जवाब देंहटाएं
  5. महिन सी रेखा भी चेहरे के भाव अलग अलग कर देती हे
    सुंदर काव्य

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी प्रतिक्रिया ने रचना को सार्थक कर दिया आदरणीय 🙏 🙏 🙏 सादर

      हटाएं
  6. और यही रेखा मनुष्य का भाग्य बदल कर रख देती है ,इसी रेखा को पार करने बाद सीता जी उम्र भर परीक्षा देती रही ,और हार कर अंत मे धरती में समा गई ।
    बहुत ही सुंदर रचना ,

    जवाब देंहटाएं
  7. रचना के भाव को विस्तार देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया 🙏 सादर प्रणाम

    जवाब देंहटाएं

पाठक की टिप्पणियाँ किसी भी रचनाकार के लिए पोषक तत्व के समान होती हैं ।अतः आपसे अनुरोध है कि अपनी बहुमूल्य टिप्पणियों द्वारा मेरा मार्गदर्शन करें।☝️👇