मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
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सबरंग क्षितिज :विधा संगम
Pankhudiya
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मेरी प्रकाशित साझा पुस्तकें
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शुक्रवार, 17 जुलाई 2015
एकता
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आओ बच्चों हम सब सीखे, जीने का एक नया सलीका। हम सब अगर एक हो जाएँ , बाल न बांका होगा किसी का। हाथी झुंड में जब आता है, खू...
मंगलवार, 7 जुलाई 2015
क्यों वह कहीं और रोप दी जाती है ?
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क्यों वह कहीं और रोप दी जाती है ? जिस बगिया में वह अपनी पहली सांस लेती है । जिस उपवन को वह अपनी खुशबू से महकाती है । जिसे द...
2 टिप्पणियां:
शुक्रवार, 3 जुलाई 2015
वो शख्स कहाँ से लाऊँ ! !
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दिल अपना चीरकर किसे दिखाऊँ, जो इसे समझ सके, वो शख्स कहाँ से लाऊँ ! ! जो मेरे लफ्ज़ों को, तराज़ू में न तोले जो मुझे समझ ले, मेर...
3 टिप्पणियां:
बुधवार, 1 जुलाई 2015
बने रहें हम सब इनसान
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प्रभु अरज मेरी बस इतनी -सी है , बने रहें हम सब इनसान ॥ नजर में कोई खोट न हो, न करें किसी का भी अपमान ॥ करो कृपा सही राह पक...
विश्वास
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मत हार मानकर ऐसे बैठ, कर अपने पंखों पर विश्वास ॥ अंबर नीचे आ जाएगा और तुझको होगा ये एहसास ॥ जब निश्चय दृढ हो जाता है ...
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