मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
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Pankhudiya
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सोमवार, 29 मार्च 2021
मौन चिल्लाने लगा...
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मौन चिल्लाने लगा...... (नवगीत) कौन किसका मित्र है और, कौन है किसका सगा। वक़्त ने करवट जो बदली, मौन चिल्लाने लगा। बाढ़ आई अश्रुओं की, ल...
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शुक्रवार, 19 मार्च 2021
मृत
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दफ़्न हूँ जहाँ वहीं जी भी रही हूँ, इन दीवारों के आगे का जहां बस उनके लिए है। मृत हैं ये दीवारें या मैं ही मृत हूँ वो हिलती नहीं और स्थाव...
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रविवार, 6 दिसंबर 2020
तुम कहाँ हो भद्र???
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तुम कहाँ हो भद्र??? उस दिन मन निकालकर कोरे काग़ज़ पर बड़ी सुघड़ता से रख दिया था मैंने। सोचा था किसी दृष्टि पड़ेगी तो अवश्य ही मेरे मन की ओ...
3 टिप्पणियां:
रविवार, 1 नवंबर 2020
जी करता है... नवगीत
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जी करता है बनकर तितली उच्च गगन में उड़ जाऊँ बादल को कालीन बना कर सैर चांद की कर आऊँ दूषित जग की हवा हुई है विष ने पाँव पसारे हैं अँ...
शनिवार, 31 अक्तूबर 2020
भूल जाते हो तुम
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भूल जाते हो तुम कि एक अर्से से तुम्हारा साथ केवल मैंने दिया है जब जब तुम उदास होते मैं ही तुम्हारे पास होती तुम अपने हर वायदे में असफ़ल ...
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