मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
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Pankhudiya
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मेरी प्रकाशित साझा पुस्तकें
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रविवार, 30 जून 2019
हे शीर्षस्थ घर के मेरे...
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बिखरते रिश्ते हे शीर्षस्थ घर के मेरे लखो तो टूट टूटकर सारे मोती यहाँ वहाँ पर बिखर रहे कोई अपने रूप पर मर मिटा है स्व...
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शनिवार, 29 जून 2019
तलब...
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तलब सितारों के आगे जहाँ खोजता हूँ । मैं धरती पर अपना मकां खोजता हूँ।। वो गुम है, मैं जिसका तलबगार हूँ । मैं हर शय में अपना खु...
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बुधवार, 26 जून 2019
बरखा रानी....
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Barish अमृत बनकर फिर से बरसो झम- झम बरसो बरखा रानी। अपना रूप मनोहर लेकर और सुघड़ बन जाओ रानी ।। बरसो तन पर, मन पर बरसो खे...
17 टिप्पणियां:
सोमवार, 10 जून 2019
बरस जा ऐ बदरी...
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बरस जा ऐ बदरी.. तेरे आने से इस दरख्त को भी जीने की आस जगी है। बरस जा ऐ बदरी फिर से अनंत प्यास जगी है।। पपीहा बन तेरी बूंद को तरस...
11 टिप्पणियां:
सोमवार, 27 मई 2019
कनकपुष्प
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कनकपुष्प.. जेठ की कड़कती दुपहरी में जब तपिश और गर्मी से सब लगते हैं कुम्हलाने । नर नारी पशु पाखी सबके बदन लगते हैं चुनचुनाने । जब ...
21 टिप्पणियां:
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