मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
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Pankhudiya
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मेरी प्रकाशित साझा पुस्तकें
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गुरुवार, 25 अप्रैल 2019
हे साईं... साईं वंदना
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हे साईं.. हे साईं... तू कर दे बेड़ा पार.... हे साईं.. हे साईं - 2 मोहपाश में फँसा हूँ मैं मेरा कर दे तू उद्धार.... हे साईं.....
5 टिप्पणियां:
रे अभिमानी..
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रे अभिमानी.. काश.. तुम समझ पाते स्त्री का हृदय. पढ़ पाते उसकी भावऩाओं को, उसके मनसरिता की पावन जलधारा को, जिसमें बहते हुए वह...
3 टिप्पणियां:
बुधवार, 24 अप्रैल 2019
तुम बिन....
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तुम बिन ..... मेरी रगों में लहू बनकर बहने वाले तुम ये तो बता दो कि मुझमें मैं बची हूँ कितनी तुम्हारा ख्याल जब - तब आक...
13 टिप्पणियां:
रविवार, 21 अप्रैल 2019
कीरचें...
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वो समझ नहीं पाए, मैं समझाती रह गई। उनके अहम में, मैं खुद को मिटाती रह गई। उजाड़ी थी बागबां ने ही, बगिया हरी - भरी गुलाब सी मैं, का...
10 टिप्पणियां:
शनिवार, 6 अप्रैल 2019
सिग्नल गाथा
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1: गुटखा चबाकर मुँह से पीक गिराती हुई मैले वसनों में उस हृष्ट - पुष्ट स्थूल काय स्याह वर्ण परपोषित पैंतीस छत्तीस वयीन परोप...
7 टिप्पणियां:
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