मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
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सबरंग क्षितिज :विधा संगम
Pankhudiya
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मेरी प्रकाशित साझा पुस्तकें
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सोमवार, 5 फ़रवरी 2018
एक और सियासत
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कासगंज की धरती की उस रोज रूह तक काँप गई शोणित हो गई और तड़पी वह फिर एक सपूत की जान गई मक्कारी के चूल्हे में वे रक्तिम रोटी सेंक...
आसमान :बालगीत
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आसमान है सबसे ऊँचा , फिर भी उसे धरा से प्यार। धरती से मिलने की खातिर , करता है वह क्षितिज तैयार।। कितना उन्नत, विशाल कितना, लेकि...
शनिवार, 3 फ़रवरी 2018
कुलदीपक
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कितना अच्छा है कि मैं लड़का नहीं हूँ. भले ही मेरे पापा, मेरे भाई से सबसे अधिक प्यार करते हैं और हमें बोझ समझते हैं . भले ही ...
शुक्रवार, 2 फ़रवरी 2018
इंद्रधनुष
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नीला अंबर नाच उठा है पाकर इंद्र के चाप की रेख छन छन अमृत बरस रहा है रति मदन का प्रणय देख सात रंग के आभूषण से हुआ अलंकृत आज जहा...
सोमवार, 29 जनवरी 2018
कर्म
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कल गिरा जमीं पर मुट्ठी बांध, कल खोल हथेली जाएगा! दो गज धरती के ऊपर से या दो गज जमीन के नीचे ही, तू माटी में मिल जाएगा! माटी ही ...
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