मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
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गुरुवार, 30 नवंबर 2017
मानवता की आवाज़
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कुछ चाहतों, ख्वाहिशों का अंबार लगा है! सपनों का एक फानूस आसमान में टंगा है! उछल कर,कभी कूदकर, उसे पाने की कोशिश में बार बार हो ज...
शुक्रवार, 1 जनवरी 2016
फिर एक जीवन बर्बाद हुआ
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सुनसान अँधेरी गलियों में, उस मैले - कुचैले चिथड़े पर वह दीन - अभागा सोता है। माँ के आँचल का अमृत, वो क्या जाने क्या होता है । माँ क...
मंगलवार, 17 नवंबर 2015
तकदीर
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कैसी तेरी कलम थी ,कैसी तेरी लिखावट! पन्ना भी चुना रद्दी,स्याही में थी मिलावट! अक्षर हैं बड़े भद्दे ,न है कोई सजावट! धरती बनाई ऐसी ,कि ह...
शनिवार, 24 अक्तूबर 2015
उस घडी का इंतजार मुझे अब भी है। (एक प्रतीकात्मक कविता)
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उस घडी का इंतजार मुझे अब भी है। चाहत तो ऊँची उड़ान भरने की थी। पर पंखों में जान ही कहाँ थी! उस कुकुर ने मेरे कोमल डैने जो तोड़ दिए थे।...
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