मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
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शुक्रवार, 4 मई 2018
वक्त हूँ मैं
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वक्त हूँ मैं मेरा इंतजार न करना लौटता नहीं मैं कभी किसी के लिए देखता हूँ समदृष्टि से सभी को ज्ञात है तुम्हें भी उगता है सूरज समय स...
शनिवार, 18 जुलाई 2015
हम हंसने को मजबूर हो गए।
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अश्रु आखों से क्या गिरे, वो हमसे ही दूर हो गए। झूठी हंसी दिखाने को, हम भी मजबूर हो गए । वक्त भी बड़ा सितमगर है, अपने...
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