मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
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शुक्रवार, 1 जनवरी 2016
फिर एक जीवन बर्बाद हुआ
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सुनसान अँधेरी गलियों में, उस मैले - कुचैले चिथड़े पर वह दीन - अभागा सोता है। माँ के आँचल का अमृत, वो क्या जाने क्या होता है । माँ क...
शनिवार, 15 अगस्त 2015
बेबसी
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खाली पेट ,खाली जेबे, हर शख़्श यहाँ मज़बूर है। ढेरों सपने लेकर जन्मा, फिर भी मंजिल दूर है। थाली में न दाल, न रोटी न सेब ,न ही अंगूर है ह...
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