मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
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रविवार, 30 जून 2019
हे शीर्षस्थ घर के मेरे...
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बिखरते रिश्ते हे शीर्षस्थ घर के मेरे लखो तो टूट टूटकर सारे मोती यहाँ वहाँ पर बिखर रहे कोई अपने रूप पर मर मिटा है स्व...
6 टिप्पणियां:
रविवार, 19 मार्च 2017
अपनापन
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दादा दादी को पोते पहचानते नहीं नाना नानी को नवासे अब जानते नहीं न जाने कैसा कलयुगी चलन है ये कि रिश्ते इतने बेमाने हो गए! और ...
10 टिप्पणियां:
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