मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
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शुक्रवार, 19 मार्च 2021
मृत
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दफ़्न हूँ जहाँ वहीं जी भी रही हूँ, इन दीवारों के आगे का जहां बस उनके लिए है। मृत हैं ये दीवारें या मैं ही मृत हूँ वो हिलती नहीं और स्थाव...
9 टिप्पणियां:
गुरुवार, 12 अप्रैल 2018
मृत हूँ मैं!
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हमेशा से ऐसा ही तो था हाँ.. हमेशा से ऐसा ही था जैसा आज हूँ मैं न कभी बदला था मैं और ना ही कभी बदलूंगा क्योंकि.. मृत हूँ मैं! म...
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