मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
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गुरुवार, 30 अगस्त 2018
कहना तो था पर..
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कहना तो था पर कभी कह न पाई!!! सोचकर ये कि, पड़ोसी क्या कहेंगे... समाज क्या कहेगा.... दुनिया क्या कहेगी.... मैं कुछ कह न पाई!!!! ...
शुक्रवार, 29 दिसंबर 2017
सुख का सूर्य
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सुख का सूर्य है कहाँ, कोई बताए ठौर! पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण देख लिया चहुँ ओर!! देख लिया चहुँ ओर कि बरसों बीत गए हैं! चूते चूते घट भी ...
शनिवार, 18 जुलाई 2015
हम हंसने को मजबूर हो गए।
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अश्रु आखों से क्या गिरे, वो हमसे ही दूर हो गए। झूठी हंसी दिखाने को, हम भी मजबूर हो गए । वक्त भी बड़ा सितमगर है, अपने...
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