मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
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शनिवार, 29 दिसंबर 2018
रात की थाली.( लघुकथा)
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रात की थाली बीस वर्षीया रागिनी को नहीं पता था कि सिंक में रखी वह एक थाली उसके ऊपर इतनी भारी पड़ेगी। भोजन समाप्त होने के पश्...
शनिवार, 17 नवंबर 2018
एक और वनवास
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~एक नया वनवास~ ढूँढ रही थी अपने पिता की छवि उस घर के सबसे बड़े पुरुष में एक स्त्री को माँ भी समझ लिया था प्रेम की गंगा बह रही थी ह...
गुरुवार, 11 जनवरी 2018
उस दिन - कथाकाव्य
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उस दिन भोजन पकाकर पसीने से तर-ब-तर बहू ने कुछ ठंडी हवा खाने की चाह में रसोई की खिड़की से बाहर झाँका ही था कि पूरे घर में खलबली सी म...
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