मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
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मंगलवार, 25 अगस्त 2015
वह 'नर' ही 'नर' कहलाता है
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जो पीर पराई समझ सके, संग ईश्वर उसके रहता है। निज स्वार्थ त्याग कर जो अपना, दूजे का दर्द समझता है। है मानस वह बड़ा महान, जो परहित सदा सो...
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