मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
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रविवार, 22 अक्तूबर 2017
मैं अकेली थी
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जरूरत थी मुझे तुम्हारी पर..... पर तुम नहीं थे! मैं अकेली थी! तुम कहीं नहीं थे! केवल तुम्हारी आरजू थी! तुम्हारी जुस्तजू थी! जो मु...
शनिवार, 2 जनवरी 2016
उम्र अभी कच्ची है मेरी ,
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बाल श्रम रंगीन किताबें बस्तों की, मुझे अपनी ओर खिंचती हैं मेरा रोम - रोम आहें भरता , और रूह मेरी सिसकती है। अपनी बेटी की झलक त...
शनिवार, 24 अक्तूबर 2015
उस घडी का इंतजार मुझे अब भी है। (एक प्रतीकात्मक कविता)
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उस घडी का इंतजार मुझे अब भी है। चाहत तो ऊँची उड़ान भरने की थी। पर पंखों में जान ही कहाँ थी! उस कुकुर ने मेरे कोमल डैने जो तोड़ दिए थे।...
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