मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
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चाँद
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शनिवार, 25 मई 2019
संसृति की मादकता
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चुपके से यामिनी ने लहराया था दामन. सागर की लहरों पर सवार होकर तरुवर के पर्णों के मध्य से, हौले हौले अपनी राह बनाता चाँ...
9 टिप्पणियां:
सोमवार, 9 अप्रैल 2018
छूना है मुझे चाँद को
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छूना है मुझे चाँद को सोचती हूँ कि कर लूँ, मैं भी कुछ मनमानियाँ , थोड़ी नदानियां उतार फेंकू, पैरों में पड़ी जंजीरे बदल दूँ, अपने हा...
बुधवार, 7 मार्च 2018
परिक्रमा
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परिक्रमा कौन नहीं करता परिक्रमा? सब करते हैं और जरूरी भी है परिक्रमा परंतु अपनी ही धुरी से जैसे चांद करता है धरती की परिक्रमा. ...
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