मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
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बुधवार, 18 मार्च 2020
कहमुकरियाँ - 2
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Jhumka 7: अंजन श्याम वर्ण मुझे खूब लुभाता। आँखों में मेरी बस जाता।। हम दोनों का प्यारा बंधन। क्या सखि साजन? ना सखि अंजन.... ...
9 टिप्पणियां:
बुधवार, 25 दिसंबर 2019
माटी मेरे गाँव की..
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माटी मेरे गाँव की विधा :मुक्त गीत माटी मेरे गाँव की, मुझको रही पुकार। क्यों मुझको तुम भूल गए, आ जाओ एक बार।। बूढ़ा पीपल बाँह पसार...
10 टिप्पणियां:
रविवार, 10 दिसंबर 2017
पुरवाई
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अब स्वप्न हो गए.... वो मेड़ों के बीच से कलकल बहता जल वो पुरवाई, वो शीतल मंद बहता अनिल , गालों को चूमती वो मीठी बयार वो फगुआ...
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