मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
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गुरुवार, 15 फ़रवरी 2018
आलोक बन बिखरना
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कोई बढ़ रहा हो आगे, मंजिल की ओर अपने रस्ता बड़ा कठिन हो, पर हो सुनहरे सपने देखो खलल पड़े न , यह ध्यान देना तुम कंटक विहीन मार्ग, ...
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