मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
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काश
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काश
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गुरुवार, 29 अगस्त 2019
काश!!!
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काश काश दूर दूर तक फैली सघन नीरवता, निर्जनता, हड्डियाँ पिघलाती जलाती धूप. सूखता कंठ, मृतप्राय शिथिल तन से चूता...
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