मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
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कान्हा
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कान्हा
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गुरुवार, 20 सितंबर 2018
कान्हा.... ओ कान्हा..
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तेरे काँधे पर सिर रखके सुकूं पाती हूँ. कान्हा, तुझमें इतनी कशिश क्यों है????
रविवार, 28 जनवरी 2018
कहंँवा हो प्यारे सखे
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कहंँवा हो प्यारे सखे गोपियाँ हैं राह तके! दर्शन की प्यास जगी, तन मन में आग लगी! बंसी की मधुर धुन, सुना दो सखे! गोपियाँ हैं राह ...
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