मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
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रविवार, 18 मार्च 2018
माना पतझड़ का मौसम है.
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घनघोर तिमिर आतंक करे वायु भी वेग प्रचंड करे हो सघन बादलों का फेरा या अति वृष्टि का हो घेरा तू हृदय घट में भरले उजास मत पीछे हट, त...
सोमवार, 15 मई 2017
व्यस्त हूँ मैं
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व्यस्त हूँ मैं.. क्योंकि मेरे पास कोई काम नहीं है, इसलिए व्यस्त हूँ मैं... काम की खोज में हूँ! रोजगार की तलाश में हूँ! रोज दर - दर ...
शुक्रवार, 4 नवंबर 2016
सूरज फिर निकलेगा ,फिर चमकेगा।
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संध्या चाहे कितनी भयावह क्यों न् हो। सूरज फिर निकलेगा ,फिर चमकेगा। संध्या तो संध्या है जब् भी आती है अपने साथ काली स्याह रातों का ...
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